सोमरस ठाकुर आगरे से हैं और ब्रम्हांड के सबसे बड़े कवि है उसी तरह जैसे आलोक पुराणिक इस ब्रम्हांड के सबसे बड़े लेखक हैं. प्रतीक पांडे ने बताया है कि आगरा बेलन गंज में ब्रम्हांड नाम का एक पतली सी गली है. हमने कमलेश मदान भाई को कैमरा लेकर जांच के लिये भेजा है. जब तक कमलेश मदान अपनी रपट लिखायें हमें उई-मेल से मिली सोमरस ठाकुर की ये कविता झेलिये.
मेरी हिन्दी ब्लागिंग में है, बड़े धुरन्धर वीर,
सौ सौ नमन करू मैं भईया सौ सौ नमन करूं
बुड़बकई टिड़बकई अजदक, मधुर मधुर कछु बोलें,
व्यथा सरौता की समीर कह मन की गांठे खोलें
गैया छोड़ कह रहे नीरज मूरखता के दोहे,
मुंह में जमना भरे; निशा जब परसे गाजर खीर;
सौ सौ नमन करू मैं भईया सौ सौ नमन करूं
अजित जीत शबदन की नगरी में झंडा फर्रायें,
शिवकुमार दुरयोधनजी की यादें हमें सुनायें
अमरीकी फंडा की व्याख्या करें सुरेश जतन ते
हिन्दुस्तानी अनिल हंस बन परखें नीर औ क्षीर
सौ सौ नमन करू मैं भईया सौ सौ नमन करूं
दूर हिन्द से लिये हिन्दिनी बिलगाये ई-स्वामी,
गुपचुप रचना संरचना में रत श्री रवि रतलामी
वाहमनी में मालदार बैठे बिनु कपड़ा लत्ता,
किस्सागोई कमसिन यादें भरें हृदय में पीर,
सौ सौ नमन करू मैं भईया सौ सौ नमन करूं;
होली में भी होमवर्क को मास्साब क्यों जांचें;
छोड़ रेडियो उल्लू के गुन ममता जी अब बांचें;
तज कविताई परम्परा कौ ज्ञान सहेजें पंकज;
विस्फोटी बातन ते संजय भिड़ा रहे तदबीर
सौ सौ नमन करू मैं भईया सौ सौ नमन करूं
सागर नाहर की दस्तक महफिल में बाजे हरदम,
हृदय गवाक्ष, मीत मन झांके यहा मनीषी सरगम
रफी गा रहे इंगलिश गाने घुस कबाड़खाने में
हाय विमल की ठुमरी सुनकर मनवा भयो अधीर,
सौ सौ नमन करू मैं भईया सौ सौ नमन करूं
अर्श फर्श पे पटका मारें तरुण निठल्लौ चिन्तन,
चंद औरतों के खुतूत कूं शोध रह्यो लिंकित मन
बोधिसत्व आभा कौ मानस समझें मां की चुप्पी
हथरिक्शा की सुनें विदाई, बरसे अन्तस: नीर;
सौ सौ नमन करू मैं भईया सौ सौ नमन करूं;
एसो जतन करौ कछु भईया, बजै हमारौ डंका
हिन्दुस्तानी सटका डारें, इन्टरनेटी लंका.
होरी में रंग तो बरसे; कम लसे नेह अन्तर से
आज कैंकड़ापन्ती मन पै घाव करै गंभीर
सौ सौ नमन करू मैं भईया सौ सौ नमन करूं
वाकई सबसे बड़े कवि की सबसे बड़ी रचना है यह
सचमुच सबसे बड़े कवि हैं जी. वाह वाह लल्लू जी.
लगता है बड़े जतन और मेहनत से लिखी गई है यह कविता। एक पोस्ट में सभी ब्लॉगरों को भर दिया। क्या बात है!!!
बहुत बढिया है जी , बधाई स्वीकारें !
सही बात. एक कविता में इतने ब्लागरों को उनकी परिभाषा के साथ समेट लेना. काबिले तारीफ.
धांसू है। मौज है। 🙂
बढ़िया होली की मस्ती छानी जा रही है..बहुत खूब. 🙂
होली पर इतनी भी ना छाने कि हम से पंगा ले बैठे
वाह! वाह! बहुत धाँसू कविता है….ब्रह्माण्ड के सबसे अच्छे कवि. वैसे सुना है कि आलोक जी भी पहले आगरा में ही रहते थे. वे भी क्या ब्रह्माण्ड गली में ही….
इस तरह पहले भी बहुत सी कवितायें लिखी गई थी परन्तु सबसे बेहतरीन कविताओं( गीतों) में से एक यह है.. बहुत मेहनत की होगी आपने समझा जा सकता है।
बधाइ स्वीकार करें और हाँ होली की शुभकामनायें भी।
🙂
आगरे के ब्लॉग मण्डल में यह नया सितारा कौन है???
इस कबित्त पर तो यही कह सकता हूं-
सौ सौ नमन करूं मैं भैया , सौ सौ नमन करूं